Apr 22 2024, 18:54
कचरे के रूप में बच जाने वाला प्लास्टिक इंसान सहित जानवरो व प्रकृति को भी बड़ा नुकसान पहुंचाता है
मीरजापुर। जिला विज्ञान क्लब द्वारा विश्व पृथ्वी दिवस पर ऑन लाइन गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें 207 बाल वैज्ञानिक बच्चे एवं अध्यापकों ने प्रतिभागिता किया।
विषय विशेषज्ञ के रूप में जिला समन्वयक सुशील कुमार पांडेय, वनस्पति शास्त्री डॉक्टर एसी मिश्र, शोध छात्रा रश्मि मिश्र, डॉक्टर आरके सिंह रहे। जिला समन्वयक सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि पृथ्वी केवल मनुष्यों का ही नहीं बल्कि करोड़ों जीव जंतुओं एवं वनस्पतियों का भी घर है। मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पृथ्वी को कई तरह के नुकसान पहुंचा रहे है। जिसके चलते प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या आ रही है।
पृथ्वी दिवस को मनाने का सबसे अहम उद्देश्य पृथ्वी को सम्मान देना। सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 22 अप्रैल 1970 को मनाया गया था। वर्ष 2024 के पृथ्वी दिवस की थीम ग्रह बनाम प्लास्टिक है। इस थीम का उद्देश्य पृथ्वी पर बढ़ रहे प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में लोगो को जागरूक करना है।
वनस्पति शास्त्री डॉक्टर एसी मिश्र ने कहा कि साफ तौर पर प्लास्टिक के दो पक्ष है। एक वह है जिससे वह हमारे जीवन को सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से उपयोगी है, दूसरा वह है जिससे कि प्रदूषक तत्व और इंसानों एवं जानवरों में बीमारियां फैलाने वाले एक तत्व के रूप में मौजूद है और उससे छुटकारा पाने या फिर उनका कोई विकल्प खोजने की जरूरत है। प्लास्टिक कोई समस्या न बने अगर उसे आसानी से रीसाइकल किया जा सके।प्लास्टिक के रीसाइकल के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इसके लिए अलग अलग तरीके खोज रहे है।
शोध छात्रा रश्मि मिश्र ने कहा कि उपयोग के दौरान कचरे के रूप में बच जाने वाला प्लास्टिक इंसान एवं जानवरो सहित प्रकृति को भी बड़ा नुकसान पहुंचाता है।प्लास्टिक की थैलियों, दूध एवं पानी के बोतलों, लंच बॉक्स या डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ का सेवन मनुष्य को नुकसान पहुंचाता है क्योंकि गर्मी एवं धूप आदि कारणों से रासायनिक क्रियाएं प्लास्टिक के विषैले प्रभाव उत्पन्न करती है जो कैंसर आदि तमाम बीमारियों का जन्म देती है।सच तो यह है कि प्लास्टिक अपने उत्पादन से लेकर इस्तेमाल तक सभी अवस्थाओं में पर्यावरण एवं समूचे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरनाक है।
डॉक्टर आरके सिंह ने कहा कि हमें अपने पृथ्वी के बचाने के लिए प्लास्टिक के प्रयोग को कम करना पड़ेगा यह तभी संभव है जब सभी इस बात को अच्छी तरह से समझे। जिस बोतल बंद पानी को आमतौर पर साफ सुथरा और पीने योग्य माना जाता है उसमें भी प्लास्टिक के कण पाए जाते है। ये बोतले कितना ज्यादा कचरा पैदा करती है इसका अंदाजा इसी से लगता है कि दुनिया के हर मिनट 10 लाख प्लास्टिक बोतले खरीदी जाती है जिनसे 50 प्रतिशत कचरा बनता है।
समापन सत्र में सभी ने प्लास्टिक से बने सामानों का कम से कम प्रयोग करने एवं अपने पृथ्वी को बचाने की शपथ ली।
Apr 24 2024, 17:45